आज हम बात करेंगे कि Shiv panchakshar stotra meaning in hindi और Shiv panchakshar stotra ke fayde aur labh और Shiv Pankshar stotra ke rachiyata koun hai? में पढ़ा जा सकता हैं या फिर नहीं इसी प्रकार के मुख्य और जरूरी विषयों के बारे में आपको जानकारी देंगे।
Shiv panchakshar stotra meaning in hindi
नमस्कार दोस्तों, आज हम फिर आज आप के लिए एक बहुत ही उपयोगी लेख लेकर आए हैं, दुनिया में दो मंत्र ऐसे हैं जो पूरी तरह से आपके जीवन को बदलने की ताकत रखते हैं और ऐसे मंत्र हैं जो आपको मुक्ति और मोक्ष तक भी पहुंचा सकते हैं। एक है गायत्री मंत्र और एक है भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र यानी कि नमः शिवाय। आज हम बात करेंगे कि भगवान शिव के इस पंचाक्षर मंत्र की महिमा क्या है ? और क्यों मैं कह रहा हूं कि पंचाक्षर मंत्र आपके जीवन को बदल सकता है, तो चलिए जानते हैं Shiv panchakshar stotra meaning in hindi क्या होता हैं।
Shiv panchakshar stotra ka hindi arth
भगवान शिव का जो पंचाक्षर मंत्र है वह है नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय नहीं ओम लगाएंगे तो षडाक्षर मंत्र हो जाएगा। ओम नमः शिवाय का प्रभाव अलग होता है और नमः शिवाय का प्रभाव अलग होता है। इतना महत्वपूर्ण क्यों है इतना इंपोर्टेंट क्यों हैं। भगवान शिव की उपासना के पांच अक्षर है नमः शिवाय पहला अक्षर न, दूसरा म, तीसरा श अक्षर, चौथा व, और पांचवां य हैं। शिव जी जो है इस सृष्टि के नियंत्रक हैं, और आगम शास्त्र कहता है कि शिव से ही सृष्टि निकलती है और शिव में ही सृष्टि का विलय हो जाता है।
यह सृष्टि पांच तत्वों से मिलकर बनी है कि पृथ्वी जल अग्नि वायु और आकाश पांच अक्षरों से जो नमः शिवाय के पांच अक्षर हैं इनसे आप सृष्टि के पांचों तत्वों को नियंत्रित कर सकते हैं। हर अक्षर का अपना अर्थ है और हर अक्षर का अपना महत्व है। जब इन पांचों अक्षरों को एक साथ मिला करके आप जप करते हैं तो आप सृष्टि पर नियंत्रण कर सकते हैं, कमांड कर सकते हैं। वैसे तो शिव का नाम ही महामंत्र है लेकिन यह जो पांच अक्षर है नमः शिवाय जिसको आम आदमी भी बोल सकता है कर सकता है। इन पांच अक्षरों के सटीक प्रयोग से आप सृष्टि पर नियंत्रण कर सकते हैं जीवन में तमाम उपलब्धियां पा सकते हैं। यहाँ Shiv panchakshar stotra ka hindi arth दिया गया हैं।
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै नकाराय नमः शिवाय।।
अर्थ: हे महादेव, जिनके गले का हार के रूप में नागराज वासुकी सदैव उपस्थित हैं। और जिनकी तीन नेत्र हैं। जिनका शरीर पवित्र भस्म से सदैव अलंकृत रहता है। वे जो शाश्वत हैं, जो पूर्णतः पवित्र हैं, और दशो दिशाओं को जो अपने वस्त्र के रूप में धारण करते हैं। उन सदाशिव को मेरा नमस्कार है, जिसे “न” अक्षर द्वारा दर्शाया जाता है।
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय,
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।,
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय,
तस्मै मकाराय नमः शिवाय।।
अर्थ:
वे जिनका पूजन मंदाकिनी नदी के पवित्र जल से होता है, और वे जिन पर चंदन का लेप लगाया जाता है। वे सदाशिव जो नंदी के और भूत-प्रेत और पिशाचों के स्वामी हैं। वे महान दयानिधान भगवान, वे जो मंदार और अन्य कई पुष्पों के साथ पूजन किया जाता हैं, उन महाशिव को मेरा प्रणाम। जिसका शब्दांश “म” द्वारा दर्शाया जाता है।
शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै शि काराय नमः शिवाय।।
अर्थ: वे जो सदैव शुभ और पवित्र हैं, और वे सदाशिव जो नए उदित सूर्य की भांति हैं। जिनसे माँ गौरी (पार्वती) का चेहरा खिल उठता है। वे जो प्रजापति दक्ष के यज्ञ के संहारक हैं। वे जिनका कंठ नीला वर्ण का है, और जिनके प्रतीक के रूप में सदैव नंदी है, उन महेश्वर को मेरा नमस्कार, जिसे शब्दांश “शि” द्वारा दर्शाया जाता है।
वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र,
देवार्चिता शेखराय।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय,
तस्मै वकाराय नमः शिवाय।।
अर्थ:
वे जो श्रेष्ठ और सबसे सम्मानित संतों और ऋृषियों- वशिष्ट, अगस्त्य, गौतम और देवताओं द्वारा भी परम पूजनीय हैं, और जो इस अखण्ड ब्रह्मांड का मुकुट हैं। वे जिनकी चंद्रमा, सूर्य और अग्नि समान तीन आंखें हैं। उन महादेव को मेरा नमस्कार, जिसे शब्दांश “व” द्वारा दर्शाया जाता है।
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै यकाराय नमः शिवाय।।
अर्थ:
वे जो यज्ञ के परम प्रतीक अर्थात् स्वरूप माने जाते हैं, और जिनकी विशाल जटाएं हैं। जिनके हाथों में पिनाक (शिवजी का धनुष) है और जो परम शाश्वत हैं। वे जो दिव्य हैं, और जो देवों में भी परम दिव्यमान प्रकाशित होते हैं। और दशो दिशाएँ जिनके वस्त्र हैं। उन आशुतोष भगवान शिव को मेरा नमस्कार, जिसे शब्दांश “य” द्वारा दर्शाया जाता हैं।
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ।
शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते।।
अर्थ:
जो आदिदेव महादेव भगवान शिव के पास इस पंचाक्षर मंत्र का पाठ करते हैं, वे भगवान शिव के निवास स्थान को प्राप्त करते हैं, और आनंदित होते हैं।
Shiv Pankshar stotra ke rachiyata koun hai?
शिव पंचाक्षर महामंत्र स्तोत्र के रचनाकार आदि गुरु शंकराचार्य जी हैं, जो एक महान और परम शिवभक्त थे। शिव पंचाक्षर स्तोत्र जो कि मूल मंत्र नमः शिवाय पर आधारित है।
न – अर्थात पृथ्वी तत्त्व का
म – अर्थात जल तत्त्व का
शि – अर्थात अग्नि तत्त्व का
वा – अर्थात वायु तत्त्व का और
य – अर्थात आकाश तत्व का प्रतिनिधित्व करता है।
मंत्रों और स्तोत्रों में एक दिव्य ऊर्जा होती है, अगर हम इन मंत्रो और स्त्रोतो का विधि पूर्वक पूजन और उच्चारण करते हैं तो इससे साधक को मन वांछित फल प्रदान होता है। शिव पंचाक्षर स्तोत्र को अत्यन्त शक्तिशाली शिव मंत्र भी कहा जाता है।
इस महामंत्र के जाप से साधक के ऊपर सदैव शिव की कृपा बनी रहती है। शिव जी की पूजा करते समय भक्त को शिव पंचाक्षर स्तोत्र का जाप अवश्य मूल रूप से करना चाहिए।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय स्तुति अर्थ सहित सरल भाषा में याद और उच्चारण कैसे करें?
इस शिव पंचक्षार महामंत्र को हमने संधि विच्छेद करके बहुत ही सरल बना दिया है, जिसे कोई भी बिल्कुल समान्य भाषा में पढ़ सकता हैं और बहुत ही आसानी से याद भी कर सकता हैं।नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय स्तुति अर्थ सहित सरल भाषा में याद और उच्चारण कैसे करें , आइए देखते हैं।
नागेन्द्र हाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्ग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै “न” काराय नमः शिवाय।।
मन्दाकिनी सलिल चन्दन चर्चिताय,
नन्दीश्वर प्रमथ नाथ महेश्वराय।,
मन्दार पुष्प बहु पुष्प सुपूजिताय,
तस्मै “म” काराय नमः शिवाय।।
शिवाय गौरी वदनाब्ज बृंदा,
सूर्याय दक्षा ध्वर नाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै “शि” काराय नमः शिवाय।।
वशिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य मूनीन्द्र,
देवार्चित शेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वा नर लोचनाय,
तस्मै “व” काराय नमः शिवाय।।
यज्ञ (यक्ष) स्वरूपाय जटाधराय,
पिनाक हस्ताय सना तनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै “य” काराय नमः शिवाय।।
shiv panchakshar stotra ke fayde aur labh
शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। और मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। और इसका नित्य पाठ करने से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो जाती है। अगर कोई व्यक्ति काल सर्प दोष से परेशान है और उसके जीवन में सुख समृद्धि नहीं है तो उस व्यक्ति को रोजाना आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए और इसका पाठ करना भी बहुत आवश्यक है।इसका पाठ करने में मुश्किल से 5 मिनट से भी कम का समय लगता है, जो कोई व्यक्ति इस पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करता है उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। और पुण्य की वृद्धि हो जाती है और शिवलोक की प्राप्ति हो जाती है। इसका पाठ करने से मन की नकारात्मक विचार खत्म हो जाते हैं और सकारात्मक विचार आना शुरू हो जाते हैं। शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से शारीरिक और मानसिक रोग खत्म हो जाते हैं यह शरीर और मन को शुद्ध करता है इस स्तोत्र का पाठ करने से सांसारिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की भी प्राप्ति हो जाती है। पंचाक्षर स्तोत्र का नित्य पाठ करने से धन धान्य की भी प्राप्ति होती है और इसका नित्य पाठ करने से घर में सुख शांति आनंद बना रहता है। जो व्यक्ति इस पंचाक्षर स्तोत्र का नित्य पाठ करता है उसे सभी प्रकार की सिद्धियां अवश्य ही प्राप्त हो जाती है और अंत में मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। इस प्रकार और भी shiv panchakshar stotra ke fayde aur labh हैं।
shiv panchakshar stotra padhne se kya hota hai aur ise kaise sidha kare
आज हम शिव पंचाक्षर स्तोत्र के विषय में चर्चा करेंगे और जानेंगे कि महाशिवरात्रि के पर्व के दिन रात्रि के चारों प्रहर में यदि हम इस स्तोत्र का पाठ करें तो किस प्रकार करें और इसकी उचित विधि क्या है ? महाशिवरात्रि के दिन सभी का व्रत भी रहता है और 24 घंटे का यह व्रत होता है तो इसलिए आप कितने स्तोत्र का पाठ करेंगे इसकी संख्या तो आपको अपने हिसाब से ही तय करनी पड़ेगी । और मैं तो कहता हूं कि यदि निष्काम भाव से आप इस स्तोत्र का पाठ करना चाहते हैं तो संकल्प लेने की कोई आवश्यकता नहीं है, आप बिना संकल्प यथाशक्ति जितने संख्या में आप पाठ करना चाहें तो शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। और आप दिन में भी इसका पाठ कर सकते हैं यथा शक्ति ऐसा आवश्यक नहीं है कि केवल रात्रि के प्रहर में ही किया जाए।
आपको दिन में भी अवसर मिलता है तो आप इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं इससे आपके पाठ की संख्या भी बढ़ जाएगी। और इस महत्त्वपूर्ण दिन के समय का आप सदुपयोग भी कर पाएंगे बहुत से साधक नाम जाप करते हैं मंत्र जाप भी करते हैं वह भी चाहे तो इस स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। इस दिन और बहुत से साधक ऐसा करते हैं कि चलते फिरते नाम जाप करते हैं और कुछ देर किसी विशेष मंत्र का जाप करते हैं। दिन में भी और रात्रि के प्रहर में भी बहुत से साधक ऐसे भी हैं जो केवल रात्रि में ही करना चाहते हैं तो व भी अपने समय के अनुसार देख लें जो उन्हें सुविधा लगे जितनी संख्या में वह कर पाएं और किसी विशेष मनोकामना की दृष्टिकोण से यदि आपको इसका पाठ उस दिन करना है तो उसके पहले आप संकल्प ले लें।
रात्रि का जो तीसरा प्रहर होता हैं, जो 12:00 बजे से 3:00 बजे के बीच होता है निषेध काल में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। निषेध काल के बाद जो चौथा प्रहर होता है वो ब्रह्म मुहूर्त वाला होता है 3:00 बजे से 6:00 बजे के बीच उस बीच भी जो पाठ या पूजन या जाप आप करते हैं, वह बहुत लाभदाई होता है तो यदि आप कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं तो कम से कम 12 से 3 और, 4 से 6 के बीच ये जो 6 घंटे का समय है रात्रि 12:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक का जो समय है कम से कम इस दौरान तो आप जितना यथाशक्ति पाठ कर पाएं तो अवश्य ही करें। इस प्रकार shiv panchakshar stotra padhne se kya hota hai aur ise kaise sidha kare आपको विस्तार से बताया गया हैं।
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Shiv panchakshar stotra meaning in hindi – FAQ
शिव पंचाक्षर स्तोत्र कब पढ़ना चाहिए ?
शिव पंचाक्षर स्तोत्र को कभी भी सच्चे श्रद्धाभाव से पढ़ा जा सकता हैं। या फिर सुबह स्नान कर के पूजा के समय और महा शिवरात्रि के दिन इस स्तोत्र का विशेष महत्व होता है।
पंचाक्षरी मंत्र का क्या अर्थ होता है?
पंचाक्षरी मंत्र का अर्थ इसके नाम से ही पता चलता हैं कि यह मंत्र पाँच अक्षरों से बना हैं, “न” “म” “शि” “व” “य” और यह अक्षर भगवान शिव के मूल मंत्र नमः शिवाय से लिया गया है।
शिव जी का पंचाक्षर मंत्र कौन सा है ?
शिव जी का पंचाक्षर मंत्र हैं, नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,तस्मै नकाराय नमः शिवाय यह पूरा मंत्र शिव जी पंचाक्षर मंत्र हैं। इसमें केवल शुरू का एक अक्षर का ही मंत्र दिया गया हैं बाकी के चार और हैं।
शिव जी का मूल मंत्र कौन सा हैं?
शिव जी मूल मंत्र ॐ नमः शिवाय हैं जो बहुत लोकप्रिय और अत्यंत शक्तिशाली मंत्र हैं।
पंचाक्षरी मंत्र कितना शक्तिशाली हैं?
पंचाक्षरी मंत्र को यदि गुरु दिक्षा से लिया जाए और इस मंत्र सदैव सच्चे मन से जाप किया जाए तो इस मंत्र में आपके मन की इच्छा को पूर्ण करता हैं। और साथ में यदि यह मंत्र सिद्ध हो जाए तो पूरे ब्रम्हाण्ड को हिला सकता हैं कुछ भी कर सकता हैं जो आप की मनोकामना हो।