Shiv chalisa hindi arth in text क्या हैं, उससे पहले जान लेते हैं कि Shiv chalisa ka paath kaise kare? कभी कभी प्रायः जब आप सभी शिव चालीसा का नाम सुनते हैं, या फिर किसी भी देवी या देवता की चालीसा हो तो जरूर आपके मन में प्रश्न उठता होगा कि यह चालीसा क्या हैं? और ज्यादातर लोगो को पता भी होगा यह चालीसा क्या हैं। क्या आप जानना चाहते हैं कि यह चालीसा क्या होता हैं तो चलिए इसके बारे मे जानते हैं।
shiv chalisa in hindi with complete meaning 2025
हिन्दू धर्म में सभी देवी और देवताओ के उपर चालीसा लिखी गई हैं, वास्तव मे चालीसा शब्द का अर्थ 40 को दर्शाता हैं। जैसे कि उदाहरण के लिए 40 चौपाईयां या दोहे उसमें होते हैं इसी के मूल संग्रह को चालीसा कहते हैं। अब इस तथ्य को जान लेने के बाद कभी भी आपके मन मे यह सवाल अब कभी नहीं उठेगा।
भगवान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए यह शिव चालीसा विशेष रूप से उपयोगी माना गया हैं। इसका निरन्तर पाठ करने से भगवान शिव जी प्रसन्न किया जा सकता हैं और इसका उपयोग भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु किया जाता हैं।
Shiv chalisa hindi me padhne ke fayde
हमारे हिन्दू धर्म में बड़े बड़े संत और ऋषि मुनियों द्वारा यह बताया गया है कि भगवान शिव अत्यन्त ही शीतल और शांत स्वभाव के साथ बहुत ही भोले हैं, इसीलिए उनका एक नाम भी हैं भोलेनाथ या फिर भोले बाबा भी कहा जाता हैं।
जब आप निरन्तर इस शिव चालीसा का पाठ करते हैं तो भगवान शिव की कृपा आप पर बनी रहती हैं। और आपके द्वारा किए गए पापों का नाश स्वतः ही होने लगता हैं। शिव चालीसा का पाठ करना भगवान श्री देवादि देव महादेव बहुत ही सर्वोत्तम माध्यम होता है, जिससे हम भगवान शिव को अति शीघ्र प्रसन्न कर उनकी विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
भगवान शिव जी की चालीसा निरन्तर पाठ करने से हमारे सभी पाप तो स्वतः नष्ट तो होते हैं लेकिन साथ ही साथ हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का रास्ता भी खुल जाता हैं। और हमारा मन शांत और स्थिर हो जाता हैं।
शिव चालीसा का निरन्तर पाठ करने से दाम्पत्य जीवन सुखमय और तनावमुक्त हो जाता हैं। दाम्पत्य जीवन से जुड़ी सभी कष्ट और बाधाओं का स्वतः ही नाश होता शुरू हो जाता हैं।
भगवान शिव स्वयं समस्त भूत – प्रेत, पिशाच, इस प्रकार की जितनी भी योनियां हैं वह सभी के स्वामी हैं और इनका प्रतिनिधित्व करते हैं। तब शिव चालीसा का पाठ करने से इस प्रकार की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती हैं।
शिव चालीसा का पाठ करने से जीवन सुख, समृद्धि, अर्थ व्यवस्था और भी इसी प्रकार की चीजों का हमारे जीवन में प्रवेश होना शुरू हो जाता हैं।
शिव चालीसा का पाठ करने से जीवन की सभी कठिनाइया और बाधाएं दूर होने लगती हैं, और इसके लिए हमें अपने आराध्य परम देव महादेव पर पूर्णतः श्रद्धा और विश्वास रखना होता हैं वह स्वयं ही सभी कष्टों का नाश कर देते हैं।
रोजाना सुबह-शाम नित्य स्नानादि कार्य करके आप शिव चालीसा का पाठ करते हैं तो आपके जीवन मे साहस, शक्ति और नई शक्तियों और उर्जा का संचार होते जाता हैं जिससे मानव जीवन बहुत ही आसान और सुखमय होते चला जाता हैं। मुझे अब यह लगता हैं कि Shiv chalisa hindi me padhne ke fayde आपको समझ में आ गया होगा
Shiv chalisa hindi me padhne ke fayde
|| श्री शिव चालीसा ||
||दोहा||
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
||चौपाई||
जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
मैना मातु की हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी|करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी।देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन।मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।शारद नारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय।सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई।ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई।निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
||दोहा||
नित्त नेम कर प्रातः ही,पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण ॥
|| श्री शिव चालीसा सम्पूर्णम ||
Shiv chalisa padhne ke niyam in hindi
शास्त्रों और पुराणों में हमें विभिन्न प्रकार के नियम का उल्लेख मिलता हैं भगवान शिव जी कि भक्ति करने का लेकिन भगवान शिव स्वयं अवघड़दानी हैं और परम दयालू हैं और सच्ची भक्ति देखकर अतिशीघ्र प्रसन्न होने वाले हैं। भगवान शिव नियम को नहीं देखते हैं बल्कि वह भक्त के मन की कोमलता को देखते हैं और सच्ची श्रद्धा और विश्वास को देखते हैं।
भगवान शिव जी की आराधना करने के लिए नियम का महत्व बहुत ही कम ही होता हैं, हाँ केवल आप के मन में भगवान शिव पर अटूट श्रद्धा और विश्वास होनी चाहिए जो कभी भी किसी भी परिस्थिती मे टूटनी नही चाहिए। केवल और केवल भगवान शिव ही आपके जीवन के मुख्य आधार होने चाहिए। और इसके कई प्रमाण भी हमें शिव पुराण में देखने को मिलता हैं।
आमतौर देखा जाता हैं कि शिव चालीसा पढ़ने के कुछ नियम भी होते हैं, यदि आप इन नियम को मानते हैं तो आप प्रातः काल ब्रह्म मुहुर्त में सुबह उठकर स्नानादि कर के पूर्ण रूप से शुद्ध हो जाए उसके उपरान्त भगवान शिव की पूजा और स्तुति करे जैसा कि आप रोज करते हैं।
और जब आप शिव चालीसा का पाठ करते हैं तो आप यह नियम बना सकते हैं कि आप एक दिन मे कितनी बार शिव चालीसा का पाठ करेंगे जैसे कि एक, पांच, ग्यारह, इक्कीस यह पूर्णतः आप पर निर्भर करता है। और जब आप यह तय कर लेते हैं कि आप एक दिन में कितना पाठ करेंगे तो आप अपने द्वारा बनाए गए उसी नियम को अपनाकर शिव चालीसा का पाठ करें।
इस प्रकार आप अपने द्वारा नियम बनाकर उस नियम के आधार पर अपनी शिव चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
Shiv chalisa in hindi with meaning
||दोहा||
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
अर्थ – हे गिरिजा-पुत्र मतलब माता पार्वती जी के पुत्र श्री गणेश जी, आप ही सभी प्रकार के शुभता और बुद्धि के कारक हो। आपकी सदा जय हो। अयोध्यादास जी यह प्रार्थना करते हैं कि हे गणेशजी आप ऐसा वरदान दें कि सभी के भय दूर हो जाए।
||चौपाई||
जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
अर्थ – हे गिरिजा (पार्वती) के पति आप की सदा जय हो , आप सबसे दयालु हो। और आप सदैव साधु और संतो की रक्षा करते हैं।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अर्थ – आपके हाथ में भाला और सिर पर चन्द्रमा सुशोभित हो रहे हैं। आपने अपने कानो में नागफनी के जैसे कुण्डल पहने हुए हैं।
अंग गौर शिर गंग बहाये।मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
अर्थ – आपके समस्त अंग गौर (गोरा) वर्ण के हैं , और आपकी जटा से गंगा जी बहाव हो रहा हैं। आपके गले में नर मुण्ड की माला हैं , और आपके पूरे शरीर में चिताओं की भस्म लगी हुई हैं।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
अर्थ – आपके शरीर में वस्त्र के रूप में बाघ की खाल अत्यंत शुशोभित हो रही हैं। और इस पूरी छवि को देखकर समस्त नागजन और मुनिजन का मन मोहित हो रहा हैं।
मैना मातु की हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
अर्थ – मैना (माता पार्वती की माँ ) माता की अतिप्रिय दुलारी माता पार्वती आपके बायें ओर विराजमान हैं और यह छवि अत्यन्त न्यारी लग रही हैं।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
अर्थ – आपके हाथों में जो त्रिशूल हैं वह आपकी इस छवि को ओर भी शोभित करता है। क्योंकि उस त्रिशूल से हमेशा शत्रुओं और दुष्टों का विनाश होता हैं।
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
अर्थ – आपके नजदीक आपकी सवारी नंदी जी और आपके पुत्र गणेश जी इस तरह दिख रहे है जैसे कि समुंद्र के बीच में दो कमल खिले हो।
कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ ॥
अर्थ – आपके पुत्र कार्तिकेय और आपके दूसरे गणों की उपस्थिति से यह पूरी छवि ऐसी बनती है कि , कोई भी उस छवि का बखान नहीं कर सकता।
देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
अर्थ – जब भी कभी देवताओं ने संकट के समय में आपका शरण लिया हैं, आपने सदैव उनके सभी दुःख और संकटों का निवारण किया हैं।
किया उपद्रव तारक भारी।देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
अर्थ – जब ताड़कासुर नाम के राक्षस ने देवताओं पर बहुत अत्याचार कर उपद्रव मचाया तब सभी देवतागण उस राक्षस से छुटकारा पाने के लिए आपकी शरण में गए।
तुरत षडानन आप पठायउ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
अर्थ – सभी देवताओं के विनती करने पर आपने तत्काल अपने पुत्र कार्तिकेय ( जिनको षडानन भी कहा जाता हैं ) को भेजा और कार्तिकेय जी ने बिना क्षण भी देरी किये उस पापी राक्षस का वध कर दिया।
आप जलंधर असुर संहारा।सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
अर्थ – आपने जलंधर नाम के असुर का संहार किया जिस कारण वश आपकी कीर्ति संपूर्ण विश्व में फैला हुआ हैं।।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
अर्थ – त्रिपुरासुर नाम के राक्षस से आप का बहुत भयंकर युद्ध हुआ और युद्ध कर उस राक्षस का वध किया, और आपने कृपा करके सब देवताओं की रक्षा हुई।
किया तपहिं भागीरथ भारी।पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
अर्थ- जब भगीरथ जी ने, माँ गंगा को धरती पर लाने के लिए बहुत कठोर तपस्या किया, तब आपने ही अपनी जटाओं मे गंगा के अत्यंत प्रचंड बहाव को अपनी जटाओं में बांध लिया।
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
अर्थ – आपके जैसा दानी इस पूरे ब्रम्हाण्ड में कोई नही हैं, भक्त जन सदैव आपकी स्तुति करते रहते हैं।
वेद नाम महिमा तव गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
अर्थ – समस्त वेद भी आपकी इस महिमा का गान करते हैं, लेकिन आप अपने आप में रहस्य हैं, इसलिए आपका आदि और अंत का भेद कोई भी नही जान पाया हैं।
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।जरत सुरासुर भए विहाला ॥
अर्थ – समुद्र मंथन के समय ज्वाला के समान विष निकलने पर सभी देवता और असुर भयभीत और बेहाल हो गए थे।
कीन्ही दया तहं करी सहाई।नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
अर्थ – तब आपने सभी देव और दानव पर दया कर के उस विष का पान कर अपने कंठ में धारण कर लिया, और तब से आपका नाम “नीलकंठ” पड़ गया।
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
अर्थ – लंका पर युद्ध करने से पहले श्रीराम जी ने आपकी पूजा की थी और उस पूजा के बाद उन्होंने लंका को जीत कर विभीषण को दे दिया था।
सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
अर्थ – जब श्री नारायण जी आपकी पूजा कर रहे थे और उस समय आपको कमल के फूल अर्पित कर रहे थे, तब आपने उनकी परीक्षा लेने की सोची।
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
अर्थ – आपने उन सभी कमल के फूलो में से एक कमल का फूल छुपा दिया, तब श्री नारायण जी ने अपने आँख को ही कमल का फूल मानकर आपकी पूजा पूरी की।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
अर्थ – श्री नारायण जी की ऐसी कठिन भक्ति को देखकर आप बहुत प्रसन्न हुए और आपने उन्हें, उनका मनचाहा वरदान दे दिया।
जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी ॥
अर्थ – हे शिवशंकर ! आपकी जय हो, जय हो, जय हो, आपका कोई आदि-अंत नही हैं, आपका कभी भी विनाश नही हो सकता हैं, आप हम सभी के ऊपर अपनी कृपा ऐसे ही बनाये रखें।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
अर्थ – दुष्ट प्रवृत्ति के विचार हमेशा मेरे मन को कष्ट पहुंचाते हैं, और जिससे मेरा मन सदैव भ्रमित रहता है और मुझे क्षण मात्र के लिए भी चैन नहीं मिलता।
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
अर्थ – इस संकट की घड़ी में, मैं आपका ही नाम स्मरण करता हूँ, इस संकट के घड़ी मे आप मेरा इस संकट से उद्धार कर सकते हैं।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट से मोहि आन उबारो ॥
अर्थ – आप अपने त्रिशूल से मेरे सभी शत्रुओं का विनाश कर दीजिए और मुझे आप इस संकट से बाहर निकालो।
मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई ॥
अर्थ – मेरे माता, पिता, भाई आदि सभी हैं, लेकिन इस संकट के आने पर मुझे कोई नही पूछता।
स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी ॥
अर्थ – इसलिए हे स्वमी ! मुझे बस आप से ही यह आशा हैं कि आप ही आकर मेरे इन सभी संकटों का हरण करेंगे।
धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अर्थ – आप सदैव निर्धन जन को धन देते हैं, जो कोई भी आपकी जैसी भक्ति करता है, उसे वैसा ही फल उसको प्राप्त होता है।
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
अर्थ – आपकी पूजा करने की विधि क्या है, इसके बारे में मैं कम जानता हूँ, इसलिए नाथ यदि मुझसे किसी तरह की कोई गलती हो जाये तो कृपा करके मेरी उस भूल को क्षमा कर दे।
शंकर हो संकट के नाशन।मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
अर्थ – हे भगवान भोलेनाथ, आप सभी संकटों का नाश करने वाले हैं, आप ही मंगल करने वाले हैं, आप ही समस्त विघ्नों का नाश भी करने वाले हैं।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।शारद नारद शीश नवावैं ॥
अर्थ – सभी योगी-त्रृषि,मुनि आपका ही सदैव ध्यान लगाते हैं और नारद मुनि और माँ शारदा आपके सामने अपना शीश झुकाते हैं।
नमो नमो जय नमः शिवाय।सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
अर्थ – आपका जप करने का बीज मंत्र “ऊं नमः शिवाय“ है। इस मंत्र का सभी देवता और ब्रह्मा जी भी पार नही पा सकते हैं।
जो यह पाठ करे मन लाई ।ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
अर्थ – जो भी भक्त सच्चे मन से यह पाठ करता हैं उन पर भगवान शिवशंभू की कृपा अवश्य बनी रहती हैं।
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।पाठ करे सो पावन हारी ॥
अर्थ – जो भी भक्त इस Shiv Chalisa का पाठ करता हैं वह सभी प्रकार के ऋणों से मुक्त हो जाता हैं।
पुत्र हीन कर इच्छा जोई।निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
अर्थ – यदि किसी भी दम्पति को संतान सुख की प्राप्ति नही हो रही हैं, तो निश्चय ही भगवान शिव की कृपा से उसे प्रसाद रूप में पुत्र की प्राप्ति होगी।
पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
अर्थ – प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथी को अपने घर में पंडित को बुलाकर Shiv Chalisa का पाठ व हवन करवाना चाहिए।
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
अर्थ – जो भी भक्त त्रयोदशी का व्रत करता हैं, उसका तन में कभी भी कोई क्लेश नहीं रहता हैं।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
अर्थ – जो कोई भी भगवान शिव की पूजा में धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाए , और उनके सामने Shiv Chalisa in hindi का पाठ करना चाहिए।
जन्म जन्म के पाप नसावे।अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
अर्थ –Shiv Chalisa hindi का पाठ करने से सभी जन्मों का पाप नष्ट हो जाता हैं और उसे शिव जी के शिवपुरी धाम में शरण मिलती हैं।
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
अर्थ – अयोध्यादास जी आपके सम्मुख यह आस लगाकर विनती करते हैं कि आप मेरे सभी दुखों का नाश कर दे।
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश ॥
अर्थ – नित्य प्रातःकाल shiv chalisa का पाठ करें, और भगवान शिव से अपनी सभी ईच्छाओ को पूरा करने की विनती करे ।
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण ॥
अर्थ – माघ महीना के छठी तिथि में हेमंत ऋतु में संवत चौसठ जानकर भगवान शिव जी और शिव चालीसा की ईस्तुति करे आपका अवश्य कल्याण होगा।
Shiv chalisa sidhha karne ki saral vidhi
• सुबह शौच आदि नित्य कर्म के पश्चात नहा कर शुद्ध हो जाए और हल्के कपड़े धारण करें।
• एक कुशा या स्वच्छ कम्बल का .आसन ले और उस आसन की शुद्धि कर लें।
• अब उस आसन में पूर्व दिशा की ओर मुख कर के बैठ जाए।
• पूजन सामाग्री में सफेद गाय का दूध,दही, घी, शक्कर का घोल बना कर रख ले, शहद, गंगाजल , चावल, काली तिल, कलावा, धूप, दीप, सफेद चन्दन, धतूर, भांग, बेलपत्र, पीले फूल, और एक फूलो की माला रखे और प्रसाद के लिए फल या सफेद मिश्री रखे।
• अब शिवलिंग को स्वच्छ जल से स्नान कराएं , और फिर दूध से स्नान कराएं, और उसके बाद दही से स्नान कराएं, और उसके बाद घुली हुई शक्कर (शर्करा)से स्नान कराएं, और अब घी से स्नान कराएं, और उसके बाद शहर से स्नान कराएं, और एक बार अंत में स्वच्छ गंगाजल से स्नान कराएं।
• और अब शिव जी को त्रिपुंड चंदन लगाएं।
• और अब शिव जी को चावल चढ़ाएं, उसके बाद काली तिल चढ़ाएं , उसके बाद बेलपत्र चढ़ाए, और फूल चढ़ाएं और फूल चढ़ाने के बाद फूलों की माला पहनाए।
• और अब शिव जी को भांग अर्पण करें।
• और अब धूप जलाकर शिवजी की स्तुति करें।
• और अब अपने गुरु जन माता-पिता का स्मरण करें और उसके बाद श्री गणेश जी का स्मरण करें और संकल्प लें कि आप कितनी बार शिव चालीसा का पाठ करना चाहते हैं जैसे कि उदाहरण के लिए एक तीन पांच सात और 11 या फिर 21 इसी प्रकार की विषम संख्या में आप शिव चालीसा का पाठ करें।
• और अब संकल्प करने के बाद आप घी का दीपक जलाएं।
• और अब आप शिवजी का शिव चालीसा पाठ का मध्यम आवाज में शुरू करें और यह आवाज जितने लोगों के कान में सुनाई देगा उतना ही आपको फायदा होगा।
• और आपने जितनी बार संकल्प लिया है शिव चालीसा पाठ को करने के लिए रोज उतने बार ही शिव चालीसा का पाठ करें।
• शिव चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि आप अपने मन में भगवान शिव जी के प्रति सच्ची श्रद्धा और विश्वास रखें। जो कि अटूट हो किसी भी परिस्थिति में यह आपकी श्रद्धा और विश्वास टूटने ना पाए और इसी विश्वास के साथ आप शिव चालीसा का पाठ करें जिससे कि आपको भगवान शिव जी की कृपा बहुत ही जल्दी प्राप्त हो सके।
• और अब शिव चालीसा का संपूर्ण पाठ करने के बाद आप अपने आसन के नीचे थोड़ा सा जल गिरा दे, और उस जल को अपने माथे से लगाए और आपने जल जिस किसी भी पात्र में रखा है उसमें फूल या पत्ते के द्वारा जल को अपने पूरे घर में छिड़क दें।
• और अब अंत में मिश्री का प्रसाद को सभी को बांट दें।
Shiv chalisa ka paath kitni bar kare
आम तौर पर मुख्यतः शिव जी का पाठ विषम संख्या में किया जाता है , जैसे कि एक तीन पांच सात 11 या फिर 21 इस प्रकार की संख्या में शिव जी का चालीसा का पाठ किया जाता है। और इसी प्रकार की संख्या में आप जिस दिन भी पाठ करते हैं उसे पाठ को आप रोज उतनी संख्या में ही करें, उसमें बदलाव न करें यदि आप चाहते हैं कि मैं दिन में एक पाठ ही करूं तो रोज एक पाठ ही करें और उसमें दो या तीन पाठ ना करें। और यदि चाहते हैं कि तीन पाठ करें तो रोज का तीन पाठ ही करें इस प्रकार का नियम आप अपने जीवन में बना सकते हैं जिससे कि भगवान शिव की कृपा आपको जल्द ही प्राप्त हो सके।
Shiv chalisa play lyrics in hindi
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Shiv chalisa hindi arth in text FAQ
रोज शिव चालीसा का पाठ करने से क्या होता है?
शिव चालीसा का पाठ करने से मन शुद्ध और पवित्र रहता हैं, और जीवन में जो पाने की मनोकामना होती हैं वह पूरी होती हैं।
शिव चालीसा का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि आप यह पाठ 1,3,5,7,9,11 या फिर 21 बार अपने यथाशक्ति कर सकते हैं।
शिव चालीसा के रचयिता कौन है ?
शिव चालीसा के रचयिता पंडित अयोध्या दास जी हैं, जिनका कि इस चालीसा में कई बार नाम आता हैं।
शिव चालीसा पढ़ने के क्या क्या फायदे होते हैं?
शिव चालीसा पढ़ने से मन एकाग्र और शांत रहता हैं, जीवन में हर एक अच्छी जो दूसरों के भलाई के लिए हो ऐसी मनोकामना शीघ्र पूर्ण होती हैं।
शिव चालीसा पढ़ने के क्या क्या नियम होते हैं?
शिव चालीसा आप प्रातः काल या फिर सायः काल स्नान कर स्वच्छ होकर शिव जी ध्यान करते हुए कर सकते हैं।
शिव चालीसा कब पढ़ना चाहिए ?
शिव चालीसा नित्य प्रातः काल पा संध्या काल में पढ़ना चाहिए। और जब कभी विशेष दिन हो जैसे कि महाशिवरात्रि या फिर कोई अन्य दिवस पर किसी विशेष मुहुर्त पर पढ़ सकते हैं।