नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में हम जानेंगे कि Namami shamishan nirvan roopam Rudrashtakam in hindi translation में,shiv rudrashtakam stotra ka path kaise kare और namami shamishan nirvan roopam in hindi lyrics के इन महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेंगे। यदि आप भी भगवान शिव के भक्त हैं तो आप को यह जानना बहुत जरूरी हैं।
Namami shamishan nirvan roopam Rudrashtakam
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाशमाकाशवासं भजेहम् ॥
निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं, गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।करालं महाकालकालं कृपालं, गुणागारसंसारपारं नतोहम् ॥
तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभिरं, मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा, लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥
चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ॥
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।त्र्यःशूलनिर्मूलनं शूलपाणिं, भजेहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥
कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी, सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।चिदानन्दसंदोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
न यावद् उमानाथपादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं, प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजां, नतोहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं, प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ॥
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतयेये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति ॥
।। इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥
namami shamishan nirvan roopam in hindi translation
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं । विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ॥निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं । चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥
अर्थ- हे मोक्ष स्वरूप, विभु, व्यापक परम ब्रह्म, वेदस्वरूप ईशान दिशा के भगवान और समस्त ब्रम्हाण्ड के स्वामी शिवजी, मैं आपको नमस्कार करता हूं । निज स्वरूप में स्थित, भेद रहित, इच्छा से रहित, चेतन, आकाश रूप भगवान शिवजी मैं आपको नमस्कार करता हूं ।
निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं । गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।करालं महाकालकालं कृपालं । गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ॥
अर्थ – निराकार, ओंकार के मूल, तुरीय (तीनों गुणों से अतीत) वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों से परे, कैलाशपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे परमेशवर भगवान सदाशिव को मैं नमस्कार करता हूं ।
तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं । मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ॥स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा । लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥
अर्थ- जो हिमाचल पर्वत के समान गौरवर्ण और गंभीर हैं, जिनके समस्त शरीर में करोड़ों कामदेवों की ज्योति शोभायमान है, जिनके सिर के जटाओं पर परम पवित्र नदी गंगाजी विराजमान हैं, जिनके ललाट पर द्वितीया का चन्द्रमा और गले में वासुकी नाग सुशोभित हैं ।
चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं । प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ॥मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं । प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ॥
अर्थ- जिनके कानों में कुण्डल शोभायमान हो रहे हैं. जिनके सुन्दर भृकुटी और विशाल आँख हैं, जो सर्वदा प्रसन्न मुख, नीलकण्ठ और परम दयालु और कृपालु हैं । बाघ चर्म का वस्त्र धारण किए और मुण्डमाल गले में धारण किये हैं, सबके अति प्रिय और सबके नाथ श्री महादेव जी को मैं भजता हूं ।
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं । अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ॥त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं । भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥
अर्थ – प्रचंड, श्रेष्ठ तेजस्वी, परमेश्वर, अखण्ड, अजन्मा, करोडों सूर्य के समान तेज वाले, तीनों प्रकार के शूलों को निर्मूल करने वाले, हाथ में त्रिशूल धारण किए, भक्ति भाव के द्वारा प्राप्त होने वाले माँ भवानी के पति श्री महादेव जी को मैं भजता हूं ।
कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी । सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ॥चिदानन्दसंदोह मोहापहारी । प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
अर्थ – समस्त कलाओं से परे, कल्याण के स्वरूप, प्रलय करने वाले, सज्जनों को सदैव आनंद देने वाले, त्रिपुरासुर के शत्रु, सच्चिदानन्द, मोह को हरण करने वाले, मन का मंथन करने वाले हे प्रभो, प्रसन्न हो, प्रसन्न हो ।
न यावद् उमानाथपादारविन्दं । भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं । प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ॥
अर्थ- जब तक मानव श्री पार्वती जी के पति के चरणकमलों का भजन नहीं करते, तब तक उन्हें न तो इस लोक में, और न ही परलोक में सुख और शान्ति की प्राप्ति है। और समस्त कष्टों का भी नाश नहीं होता है । अत: हे सभी जीव के हृदय में निवास करने वाले प्रभु, प्रसन्न हो।
न जानामि योगं जपं नैव पूजां । नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ॥जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं । प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ॥
अर्थ- मैं योग का ज्ञाता नहीं हूं, और न ही जप और न ही पूजा. हे शम्भू, मैं तो सर्वदा आप को ही नमस्कार करता हूं । हे महाप्रभो! वृद्धा अवस्था और जन्म के इस दु:ख के मूलों से जलते हुए मुझ दुखी की दु:खों से रक्षा कीजिए । हे शम्भो, मैं आपको नमस्कार करता हूं ।
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ॥।ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ॥
अर्थ- जो मनुष्य इस स्तोत्र को पूर्ण भक्तिपूर्वक से पाठ करते हैं, उन के उपर सदैव भगवान महादेव विशेष रूप से प्रसन्न रहते हैं ।
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shiv rudrashtakam stotra ka path kaise kare
अब यह समझते हैं कि, आप shiv rudrashtakam stotra ka path kaise kare ? आप सुबह ब्रम्ह मुहुर्त में उठकर के स्नान कर पाठ करिये। या फिर प्रदोष काल में सूर्यास्त के आसपास के समय में इस shiv rudrashtakam का पाठ करिए। पहले भगवान शिव को प्रणाम और नमस्कार करके उन्हें धूप दीप और नैवेद्य यानि मिठाई अर्पित करिए।
इसके बाद ध्यान लगाकर इस shiv rudrashtakam stotra का पाठ करें। shiv rudrashtakam stotra का पाठ गाकर करें, अब गाने का मतलब यह नहीं हैं कि जैसे फिल्मों में गाया जाता हैं वैसा गाए। और अगर पूर्व दिशा की मुख करके इस shiv rudrashtakam stotra का पाठ कर सके तो बहुत अच्छा होगा। पाठ करने के बाद भगवान शिव का ध्यान करें आंखें बंद करके और उसके बाद आपने भगवान शिव से प्रार्थना करें कि आपकी मनोकामना पूरी हो।
shiv rudrashtakam padhne ke fayde aur labh
यदि बात करें ज्योतिष शास्त्र अनुसार भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को आरोग्य और सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही मान्यता है कि जो व्यक्ति भगवान भोलेनाथ की पूजा करता है, उस पर ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव का असर खत्म होता जाता है। वहीं भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शास्त्रों में कई स्त्रोत का वर्णन मिलता है। जिसमें से एक है भगवान शिव का रुद्राष्टकम। अर्थात् जो भक्त रुद्राष्टकम स्त्रोत का निरन्तर पाठ करता है, उसकी अपने शत्रुओं पर निश्चय ही विजय की प्राप्ति होती है। और साथ ही उस भक्त पर भगवान शंकर की असीम कृपा बनी रहती है।
यदि आप रोजाना अथवा प्रायः सोमवार के दिन शिव रुद्राष्टकम का पाठ करते हैं तो इस पाठ के माध्यम से आपको कई प्रकार के लाभ अवश्य देखने को मिल जाते हैं। भगवान शिव शंकर की असीम कृपा से आप भक्त जनों का वैवाहिक जीवन सुखमय बनता चला जाता है और अपको अपने जीवनसाथी के साथ संबंध अत्यन्त मधुर होता हुआ प्रतीत होता है। यदि आप अपने जीवन में विवाह के लिए एक अच्छा जीवनसाथी ढूंढ़ रहे हैं तब वह भी आपको अत्यन्त सुगमता के साथ मिल जाता है।
भगवान भोले शंकर के इस महान रुद्राष्टकम स्त्रोत के पाठ से भक्तों के जीवन से अकाल मृत्यु का डर खत्म हो जाता है। महादेव जी की कृपा से आपको अपनी मनचाही संतान प्राप्त होता है। यदि आप किसी भी रोग या संकट से ग ग्रसित हैं तो वह भी आपके जीवन से दूर होता है। अगर देखा जाए तो भगवान शिव रुद्राष्टकम का आप सच्चे हृदय से पाठ करते है तो आप का जीवन सरल बनता है। और यहीं शिव रुद्राष्टकम के लाभ होते हैं।
श्री शिव रुद्राष्टकम पाठ की जाप विधि
शास्त्रों और पुराणों के अनुसार यदि कैसा भी शत्रु हों जो आपको परेशान कर रहा है तो किसी मंदिर में जाकर या अपने घर में ही एक शिवलिंग या फिर भगवान शिव जी की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें। और यह ध्यान दे कि उस चौकी पर लाल रंग के स्वच्छ कपड़े का आसन अवश्य बिछायें, इसके बाद आप कुशा के आसन पर बैठकर लगातार 7 दिनों तक इस स्त्रोत का निरन्तर पाठ करें। अत्यन्त दयावान भगवान भोलेनाथ जी की कृपा से आपको निश्चय ही अपने शत्रु पर विजय की प्राप्ति होगी। क्योंकि भगवान भोलेनाथ सदा ही अपने भक्त जनों की रक्षा करते हैं। इसके स्रोत के पाठ से भक्त के अंदर आत्मविश्वास और मनोबल में वृद्धि होती है।
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श्री शिव रुद्राष्टकम पाठ का महत्व
शिव रुद्राष्टकम में भगवान आशुतोष शिव के रूप सौंदर्य व शक्तियों का सूक्ष्म रूप में वर्णन किया गया है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार भगवान श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने से पहले भगवान महादेव का विधि-वत पूजन किया था। श्री रामचन्द्र जी ने जब रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की थी और नियमतः पूजन किया और उसके फलस्वरूप उन्हें लंका पर विजय प्राप्त हुई थी। यह स्त्रोत का पाठ विशेष रूप से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए की जाती हैं। और इस साथ ही इस महा स्रोत के जाप से जीवन में सुख- समृद्धि स्थाई रूप से बनी रहती है।
namami shamishan nirvan roopam in hindi lyrics
आप सभी को इस लेख के माध्यम से यह पता चला कि namami shamishan nirvan roopam in hindi क्या हैं, और यदि हम बात करें तो इसे हम अगर थोड़ा संगीतमय बना देते हैं वह भी साधारण संगीत के रूप में यह स्त्रोत और भी मन को मोह लेने वाला बन जाता हैं। अगर आप भी इस स्त्रोत को संगीत रूप में देखना चाहते हैं तो आपको यहाँ विडियों दिया जा रहा हैं जिस पर क्लिक करके आप आसानी से इस विडियों को देख सकते हैं।
Namami shamishan nirvan roopam Rudrashtakam – FAQ
Namami shamishan nirvan roopam Rudrashtakam क्या होता हैं?
यह भगवान शिव जी का परम प्रिय स्त्रोत हैं जिसे शिव रुद्राष्टकम के नाम से जाना जाता हैं।
Namami shamishan nirvan roopam Rudrashtakam की रचना किसने की थी?
इस पवित्र स्त्रोत की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी वह परम रामभक्त और सच्चे संत थे, जिनका आज भी बड़े आदर से नाम लिया जाता हैं।
श्री शिव रुद्राष्टकम पाठ का महत्व क्या होता हैं?
शिव रुद्राष्टकम में भगवान आशुतोष शिव के रूप सौंदर्य व शक्तियों का सूक्ष्म रूप में वर्णन किया गया है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार भगवान श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने से पहले भगवान महादेव का विधि-वत पूजन किया था। श्री रामचन्द्र जी ने जब रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की थी और नियमतः पूजन किया और उसके फलस्वरूप उन्हें लंका पर विजय प्राप्त हुई थी। यह स्त्रोत का पाठ विशेष रूप से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए की जाती हैं। और इस साथ ही इस महा स्रोत के जाप से जीवन में सुख- समृद्धि स्थाई रूप से बनी रहती है।
श्री शिव रुद्राष्टकम पाठ की जाप विधि कैसे करे?
शास्त्रों और पुराणों के अनुसार यदि कैसा भी शत्रु हों जो आपको परेशान कर रहा है तो किसी मंदिर में जाकर या अपने घर में ही एक शिवलिंग या फिर भगवान शिव जी की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें। और यह ध्यान दे कि उस चौकी पर लाल रंग के स्वच्छ कपड़े का आसन अवश्य बिछायें, इसके बाद आप कुशा के आसन पर बैठकर लगातार 7 दिनों तक इस स्त्रोत का निरन्तर पाठ करें। अत्यन्त दयावान भगवान भोलेनाथ जी की कृपा से आपको निश्चय ही अपने शत्रु पर विजय की प्राप्ति होगी। क्योंकि भगवान भोलेनाथ सदा ही अपने भक्त जनों की रक्षा करते हैं। इसके स्रोत के पाठ से भक्त के अंदर आत्मविश्वास और मनोबल में वृद्धि होती है।
Namami shamishan nirvan roopam Rudrashtakam Nishkarsh
शिव रुद्राष्टकम एक बहुत ही शक्तिशाली और भक्ति से परिपूर्ण स्तोत्र है, जो भगवान महादेव जी की महिमा के बारें में हमें अवगत कराता है। गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा रचित यह स्रोत हमें आध्यात्मिक शांति, और हमारे मन को एकाग्रचित्त कर हमारे हृदय में सच्ची भक्ति, श्रद्धा और साहस का नया संचार भी करता है। इस स्रोत के नियमित पाठ से हमारे जीवन के नकारात्मक ऊर्जाओं का स्वतः ही नाश होता है और हमारे नव जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का निवास होने लगता है। आज के इस लेख में हमने यह जाना कि शिव रुद्राष्टकम स्त्रोत क्या होता हैं। और मैं यह अपने मन में पूर्ण विश्वास के साथ कहता हूँ कि आप भी इस स्त्रोत का पाठ करें तो भगवान शिव की कृपा आप सब को प्राप्त हो।
और इस प्रकार Namami shamishan nirvan roopam Rudrashtakam stotra के बारें में पूरा विस्तार से जानकारी आपको दी गई हैं और मुझे यह आशा हैं कि आपको यह स्रोत की जानकारी अवश्य ही अच्छी लगी होगी।